दीपक रमोला के प्रथम काव्य संग्रह में संकलित कविताएँ उनके जीवन की स्वानुभूत अभिव्यक्तियाँ हैं जिनमें उनका हृदय धड़कता है। इन्हें किसी एक मनोभूमि में नहीं समेटा जा सकता, ये अनेक अनुभवों की परछाईं हैं जैसे समुद्र के किनारे फैले शंखों में छिपे नाद। इनकी अभिव्यक्ति उम्र के पड़ाव से कहीं आगे विचरती है। नवयुवा मन में चुभन है जो ज़िन्दगी के आस-पास से लिए प्रसंगों को मुखरित कर देती है। ये किसी दूसरे विकल मन को शान्त करने के लिए जीवन की टेढ़ी -मेढ़ी पगडंडियों से गुजरी प्रेरणा स्रोत हैं । अनबूझ परिस्थितियों की छुअन से उभरी कविताओं का संकलन है- ' इतना तो मैं समझ गया हूँ '।